CAB Kya Hai | नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 क्या है? | Citizenship Amendment Bill 2019

नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 क्या है?

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) 2019 को 9 दिसम्बर 2019 को लोकसभा ने पास कर दिया है.  इस बिल का उद्येश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आये 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है. इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल ना किये जाने पर कई राजनीतिक पार्टियाँ तथा देश के वो व्यक्ति जो संविधान को मानते है (भारत को  एक सेक्युलर, संप्रभुता संपन्न और शांतिप्रिय देश समझते हैं ) विरोध कर रहे  हैं.⧬|

भारत एक सेक्युलर, संप्रभुता संपन्न और शांतिप्रिय देश है. शायद यह पूरी दुनिया में ‘विविधता में एकता’ का परिचय करने वाला यह अकेला देश है. शायद यही कारण है कि कई देशों के नागरिक भारत की नागरिकता पाने को आतुर रहते हैं.⧬|

वर्तमान में देश में नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) 2019 की चर्चा चारों ओर है. आइये इस लेख में जानते हैं कि यह बिल क्या है, इसके क्या फीचर्स हैं और यह नागरिकता संशोधन विधेयक, 1955 से किस तरह भिन्न है?⧬|⧬|

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) 2019 क्या है?

दरअसल नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) एक ऐसा बिल है जो कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले 6 समुदायों के अवैध शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की बात करता है. इन 6 समुदायों ((हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन, तथा पारसी) में इन देशों से आने वाले मुसलमानों को यह नागरिकता नहीं दी जाएगी और यही भारत में इसके विरोध की जड़ है.⧬|
File Photo Creadit Shutler.com


नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 क्या कहता है? (Citizenship Amendment Bill 1955)

नागरिकता अधिनियम, 1955; भारत की नागरिकता प्राप्त करने की 5 शर्तों को बताता है, जैसे-जन्म, वंशानुगत, पंजीकरण, प्राकृतिक एवं क्षेत्र समविष्ट करने के आधार पर. इस अधिनियम में 7 बार संशोधन किया जा चुका है.⧬|

नागरिकता संशोधन विधेयक 1955 में प्राकृतिक रूप से नागरिकता हासिल करने के लिए व्यक्ति को कम से कम 11 वर्ष भारत में रहना अनिवार्य था जो कि बाद में घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया था लेकिन नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में इस अवधि को घटाकर 5 वर्ष कर दिया गया है.⧬|

नागरिकता (संशोधन) विधेयक (Citizenship Amendment Bill) 2019 के मुख्य फीचर्स 

File Photo From Google Leberal Use 

1⧬|. नागरिकता अधिनियम 1955 के तहत किसी व्यक्ति( मुस्लिम,हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन, तथा पारसी )कोई भी धर्म के व्यक्ति  को   OCI कार्ड दिया जा सकता  है, यदि वह भारतीय मूल का है (जैसे, भारत के पूर्व नागरिक या उनके वंशज या भारतीय मूल के व्यक्ति के जीवनसाथी). जबकि नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 में हिन्दू, बौद्ध, सिख, ईसाई, जैन, तथा पारसी का नाम चिन्हित किया गया है | अब 2019 का एक्ट OCI कार्ड को यह सुविधा देता है कि वे भारत में यात्रा करने, देश में काम करने और अध्ययन करने के अधिकारी हैं.

2⧬|. नागरिकता अधिनियम 2016 में यह प्रावधान था कि किसी OCI कार्ड धारक का कार्ड इन 5 कारणों से रद्द किया जा सकता है; वह
धोखाधड़ी से रजिस्ट्रेशन प्राप्त करना, संविधान के प्रति अरुचि दिखाना, युद्ध के दौरान शत्रु से दोस्ती बढ़ाना, भारत की संप्रभुता, राज्य या सार्वजनिक हित की सुरक्षा से खिलवाड़ करता है, या OCI कार्ड के रजिस्ट्रेशन मिलने के 5 सालों के भीतर उसे दो साल या अधिक कारावास की सजा सुनाई गई है.

अब नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 इस एक्ट में परिवर्तन कर देगा और इसमें यह प्रावधान जोड़ा गया है कि यदि कोई OCI कार्ड धारक, भारत सरकार द्वारा बनाये गये किसी कानून का उल्लंघन करता है तो उसका OCI कार्ड रद्द किया जा सकता है.

3⧬|. नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 कहता है कि भारत की नागरिकता प्राप्त करने पर;
(i) अवैध प्रवासियों को प्रवेश की तारीख (31 दिसंबर, 2014 से पहले) से भारत का नागरिक माना जाएगा,

(ii) उनके अवैध प्रवास के संबंध में उनके खिलाफ सभी कानूनी कार्यवाही बंद हो जाएगी.

हालाँकि असम, मेघालय, मिजोरम, या त्रिपुरा के आदिवासी क्षेत्रों में अवैध प्रवासियों के लिए नागरिकता पर प्रावधान लागू नहीं होंगे.
4⧬|. नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2016 में यह प्रावधन था कि प्राकृतिक रूप से नागरिकता प्राप्त करने के लिए इन व्यक्तियों ( अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों) को कम से कम 6 वर्ष भारत में रहना चाहिए लेकिन नया बिल इस अवधि को घटाकर 5 वर्ष कर देगा अर्थात वे भारत में रहने के 5 सालों की बाद ही भारत के नागरिक बन जायेंगे.
तो ये थे नागरिकता संशोधन अधिनियम,2019 के कुछ प्रावधान जो कि 3 देशों के 6 समुदायों के लोगों को भारत की नागरिकता देते हैं.



हालाँकि कुछ लोग ऐसा तर्क दे रहे हैं कि यह संशोधन, संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है क्योंकि यह किसी के साथ जाति, धर्म, लिंग, स्थान आदि के आधार पर भेदभाव का विरोध करता है. उम्मीद है कि सरकार सभी पक्षों की बात सुनने के बाद और देश में हो रहे विरोध को देखते हुवे कुछ सही फैसला लेगी.⧬|⧬|


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