पैग़म्बर मुहम्मद (सल्ल.) की शिक्षाएं : बन्दों के अधिकार-०१-(रिश्तेदारों और क़रीबी लोगों के अधिकार)


❤⇁रिश्तेदारों और करीबी लोगों के अधिकार
❤⇁रिश्तों को तोरनेवाला सवर्ग में नहीं जाएगा__❤(बुखारी ) 
❤⇁जो व्यक्ति ये पसंद करे के उसकी रोज़ी (आजीविका )में बढ़ोतरी हो उसकी उम्र लम्बी हो तो वह रिश्तेदारों के साथ अच्छा वयवहार करे !!_❤(बुखारी )
❤⇁ तरह के लोग जन्नत (सवर्ग ) में नहीं जाएँगे !! १-हमेशा शराब पिने वाला, २-रिश्ते नातों को तोरनेवाला, ३-जादू पर यकीन करनेवाला,-!!_❤(अहमद )
❤⇁उस क़ौम पर (अल्लाह की )रहमत नहीं उतरती जिसमे रिश्तों को तोरनेवाला मोजूद हो !!_❤(बैहकी) 
❤⇁जो तुमसे सम्बन्ध तोरे तुम उससे सम्बन्ध जोरो ! जो तुमपर अत्याचार करे तुम उसे छमा करदो
!!_❤(मिशकात)
❤⇁रिश्ते-नाते जोरनेवाला वह आदमी नहीं है जो बदले के तोर पर ऐसा करे ! बल्के रिश्ता जोरनेवाला असल में वह है जो इस हाल में भि रिश्ता जोरे जबली उसके साथ रिश्ता तोरने का व्यवहार किया जाए !!_❤(बुखारी ) ❤⇁मिसकीन (दरिद्र) को सदका (दान) देना केवल सदका है और गरीब रिश्तेदारों को सदका देना सदका देना भि है और रिश्ता निभाना भि !!_❤(नसाई, तिरमिज़ी)


मेहमानों के अधिकार:
☆⇁यह सुन्नत (पैग़म्बर सल्ल॰ का तरीक़ा) है कि आदमी अपने मेहमान के साथ घर के दरवाजे़ तक जाए।(इब्ने–माजा)
☆⇁यह पूछने पर कि ‘‘इस्लाम की कौन–सी चीज़ अच्छी है?’’ पैग़म्बर (सल्ल॰) ने फ़रमाया, ‘‘तुम खाना खिलाओ और सलाम करो चाहे तुम उसे पहचानते हो या न पहचानते हो।(बुख़ारी)
☆⇁जो कोई अल्लाह और आख़िरत (मरने के बाद उठाए जाने) के दिन पर यक़ीन रखता हो तो उसे अपने मेहमान का आदर करना चाहिए। उसकी ख़ातिरदारी बस एक दिन और एक रात की है और मेहमानी तीन दिन और तीन रातों की। उसके बाद जो हो वह सदक़ा (दान) है और मेहमान के लिए जाइज़ नहीं कि वह अपने मेज़बान के पास इतने दिन ठहर जाए कि उसे तंग कर डाले।(बुख़ारी)
☆⇁एक व्यक्ति ने अल्लाह के पैग़म्बर (सल्ल॰) की सेवा में हाज़िर होकर खाना माँगा। पैग़म्बर (सल्ल॰) ने उसके खाने के लिए अपनी एक पत्नी के पास भेजा। वहाँ मालूम हुआ कि पानी के सिवा कुछ नहीं है। फिर उन्होंने एक–एक करके तमाम पत्नियों के पास भेजा और हर जगह से यही जवाब मिला। पैग़म्बर (सल्ल॰) के कहने पर एक सहाबी ने उसे अपना मेहमान बनाया, वे उसे अपने घर ले गए। पत्नी से मालूम हुआ कि बच्चों के भोजन के सिवा घर में कुछ नहीं है। पति के कहने पर पत्नी ने बच्चों को सुला दिया। जब मेहमान खाना खाने के लिए बैठे तो पत्नी ने दीया ठीक करने के बहाने बत्ती बुझा दी। मेहमान ने खाना खाया और मेज़बान उसके साथ बैठे यह ज़ाहिर करते रहे कि वे भी उनके साथ खा रहे हैं। हालाँकि वे रात–भर भूखे रहे। मेज़मान जब सबुह–सवेरे पैग़म्बर (सल्ल॰) की सेवा में हाज़िर हुआ तो पैग़म्बर (सल्ल॰) ने फ़रमाया, ‘‘अल्लाह मेज़बान मर्द और औरत से राज़ी हो गया। उनके इस काम पर अल्लाह ने यह आयत (क़ुरआन 59:9) उतारी- “वे दूसरे ज़रूरतमन्दों को अपने आपपर प्राथमिकता देते हैं, अगरचे वे भूखे रह जाएँ।(मिशकात)
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