रमज़ानुल मुबारक की उनतीसवां रोजे से थीं
ईमाम हसन(radiallahoAnho) की उम्र मुबारक 5 साल
और ईमाम हुसैन (radiallaho taala anho की उम्र 4 साल 2माह ।
सय्यदा फातिमा चक्की पीस कर फारिग़ होती हैं।
आप ने जा-नमाज़ बिछाया और इरादा किया कि नमाज़ पढ़ लूँ
कि तभी हज़रत इमाम हसन और हुसैन
(radiallaho taala anho) दौड़ते हुए आये और जानेमाज़ पर लेट गये ।
सय्यदा ने उठने को कहा तो दोनों शहज़ादे मचल गये और कहने लगे - अम्मीजान !
सुबह ईद हो जाएगी।ईद के रोज़ सब नये नये कपड़े पहनेंगे हमें भी नए कपड़े मंगवा के दे दीजिए। सय्यदा फातिमा का दिल हिल गया।
आप ने बच्चों को सीने से लगाकर कहा -मेरे चाँद ! मुझे नमाज़ पढ़ लेने दो।कल तुम्हें नये कपड़े मंगवाकर दूंगी।
अम्मी ! कल तो ईद है ! कपड़े अगर आये तो सिलेंगे कैसे..? हज़रत हसन (radiallaho taala anho) ने पूछा।
आप ने फरमाया फिक्र न करो बेटा।दरज़ी तुम्हारे लिए सिले सिलाए कपड़े लाएगा।और फिर सय्यदा फातिमा ने नमाज़
पढना शुरू कर दीं।नमाज़ के बाद बारगाहे ख़ुदावन्दी में हाथ
उठाये।
बारी तआला ! तू सब कुछ जानता है।तेरी इस बन्दी ने सिर्फ इस लिए बच्चों से कपड़ो का वादा कर लिया कि उन का दिल न टूटे। मेरे ख़ुदा ! तू ख़ूब जानता है कि फातिमा ने कभी झूट नही बोला। या अल्लाह ! मेरे उठे हुए हाथों की लाज रखना।
मैने तेरी रहमत के सहारे पर बच्चों से नए कपड़ों का वादा कर लिया है। मेरे वादे की लाज रखना मौला।इफ्तारी का वक़्त हो गया।
ईद का चाँद नज़र आ गया। मदीना मुनव्वरा में मुनादी हो रही थी।
बच्चे अभी से ईद की तैयारी कर रहे थे। रात को सोते वक़्त फातिमा के शहज़ादों ने फिर अपना वादा अम्मी को याद दिला दिया। फज्र की अज़ान हुई। सय्यदा फातिमा ने नमाज़ अदा की।और अभी दुआ के लिए हाथ उठाये ही थे कि दरवाज़े पे दस्तक हुई।आप ने पूछा कौन है ? आवाज़ आई - बिन्ते रसूल!
आपका दर्ज़ी हूँ , शहज़ादों के कपड़े लाया हूँ।
आप ने ग़ैबी मदद समझ कर कपड़े ले लिए। हसन और हुसैन (radiallaho taala anho) को कपड़े
पहना दिये। दोनों खुश होते हुए मस्जिद ए नबवी में नाना जान को कपड़े दिखाने गये।
रसूले खुदा (sallallaho taalaalayhewasallam)
मस्जिद ए नबवी के कच्चे फर्श पर लेटे हुए थे।आप (sallallaho ta'ala alayhe wasallam) ने दोनों शहज़ादो को देखा तो बहुत ख़ुश हुए।
फिर आप (sallallaho alayhe wasallam) बेटी के घर तशरीफ लाए और मुस्कुराते हुए पूछा - बेटी यह कपड़े कहाँ से आये हैं ? आपने अर्ज़ किया - अब्बाजान ! एक दरज़ी दे गया है।
आप(sallallaho alayhe wasallam) ने फरमाया बेटी जानती हो वो दरज़ी कौन था ? सय्यदा फातिमा ने कहा अल्लाह और उसका रसूल बेहतर जानतें हैं।
सरकारे दो आलम (sallallaho alayhe wasallam) ने फरमाया -बेटी आपका दरज़ी बन कर आने वाले जिब्राईल थे।
और यह जोड़े वह अल्लाह के हुक्म से जन्नत से लाए थे।
हज़रत फातिमा (radiallaho anha) ने ख़ुदा का शुक्र
अदा किया। उधर हज़रत अली के नन्हे नन्हे शहज़ादे
खुशी से हुज़ूर (sallallaho alayhe wasallam) की चादर को सर पर
रख कर आप से बार बार लिपट रहे थे।
सुब्हानअल्लाह
courtesy-Sana Shaikh Facebook
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ईमाम हसन(radiallahoAnho) की उम्र मुबारक 5 साल
और ईमाम हुसैन (radiallaho taala anho की उम्र 4 साल 2माह ।
सय्यदा फातिमा चक्की पीस कर फारिग़ होती हैं।
आप ने जा-नमाज़ बिछाया और इरादा किया कि नमाज़ पढ़ लूँ
कि तभी हज़रत इमाम हसन और हुसैन
(radiallaho taala anho) दौड़ते हुए आये और जानेमाज़ पर लेट गये ।
सय्यदा ने उठने को कहा तो दोनों शहज़ादे मचल गये और कहने लगे - अम्मीजान !
सुबह ईद हो जाएगी।ईद के रोज़ सब नये नये कपड़े पहनेंगे हमें भी नए कपड़े मंगवा के दे दीजिए। सय्यदा फातिमा का दिल हिल गया।
आप ने बच्चों को सीने से लगाकर कहा -मेरे चाँद ! मुझे नमाज़ पढ़ लेने दो।कल तुम्हें नये कपड़े मंगवाकर दूंगी।
अम्मी ! कल तो ईद है ! कपड़े अगर आये तो सिलेंगे कैसे..? हज़रत हसन (radiallaho taala anho) ने पूछा।
आप ने फरमाया फिक्र न करो बेटा।दरज़ी तुम्हारे लिए सिले सिलाए कपड़े लाएगा।और फिर सय्यदा फातिमा ने नमाज़
पढना शुरू कर दीं।नमाज़ के बाद बारगाहे ख़ुदावन्दी में हाथ
उठाये।
बारी तआला ! तू सब कुछ जानता है।तेरी इस बन्दी ने सिर्फ इस लिए बच्चों से कपड़ो का वादा कर लिया कि उन का दिल न टूटे। मेरे ख़ुदा ! तू ख़ूब जानता है कि फातिमा ने कभी झूट नही बोला। या अल्लाह ! मेरे उठे हुए हाथों की लाज रखना।
मैने तेरी रहमत के सहारे पर बच्चों से नए कपड़ों का वादा कर लिया है। मेरे वादे की लाज रखना मौला।इफ्तारी का वक़्त हो गया।
ईद का चाँद नज़र आ गया। मदीना मुनव्वरा में मुनादी हो रही थी।
बच्चे अभी से ईद की तैयारी कर रहे थे। रात को सोते वक़्त फातिमा के शहज़ादों ने फिर अपना वादा अम्मी को याद दिला दिया। फज्र की अज़ान हुई। सय्यदा फातिमा ने नमाज़ अदा की।और अभी दुआ के लिए हाथ उठाये ही थे कि दरवाज़े पे दस्तक हुई।आप ने पूछा कौन है ? आवाज़ आई - बिन्ते रसूल!
आपका दर्ज़ी हूँ , शहज़ादों के कपड़े लाया हूँ।
आप ने ग़ैबी मदद समझ कर कपड़े ले लिए। हसन और हुसैन (radiallaho taala anho) को कपड़े
पहना दिये। दोनों खुश होते हुए मस्जिद ए नबवी में नाना जान को कपड़े दिखाने गये।
रसूले खुदा (sallallaho taalaalayhewasallam)
मस्जिद ए नबवी के कच्चे फर्श पर लेटे हुए थे।आप (sallallaho ta'ala alayhe wasallam) ने दोनों शहज़ादो को देखा तो बहुत ख़ुश हुए।
फिर आप (sallallaho alayhe wasallam) बेटी के घर तशरीफ लाए और मुस्कुराते हुए पूछा - बेटी यह कपड़े कहाँ से आये हैं ? आपने अर्ज़ किया - अब्बाजान ! एक दरज़ी दे गया है।
आप(sallallaho alayhe wasallam) ने फरमाया बेटी जानती हो वो दरज़ी कौन था ? सय्यदा फातिमा ने कहा अल्लाह और उसका रसूल बेहतर जानतें हैं।
सरकारे दो आलम (sallallaho alayhe wasallam) ने फरमाया -बेटी आपका दरज़ी बन कर आने वाले जिब्राईल थे।
और यह जोड़े वह अल्लाह के हुक्म से जन्नत से लाए थे।
हज़रत फातिमा (radiallaho anha) ने ख़ुदा का शुक्र
अदा किया। उधर हज़रत अली के नन्हे नन्हे शहज़ादे
खुशी से हुज़ूर (sallallaho alayhe wasallam) की चादर को सर पर
रख कर आप से बार बार लिपट रहे थे।
सुब्हानअल्लाह
courtesy-Sana Shaikh Facebook
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