शबे-बारात को हुडदंग और स्टंट करना गैर इस्लामी, उलेमा-ए-कीराम

शब-ए-बरात में हर साल सड़कों पर होने वाले हुड़दंग और मोटरसाइकल पर स्टंटबाजी से मुसलमानों की खराब होती छवि से चिंतित समुदाय के धार्मिक नेताओं ने इसे गैर इस्लामी बताते हुए लोगों से अपील की है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें और उन्हें इन सबसे बाज रखें।
प्रमुख इस्लामी संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रवक्ता मौलाना अब्दुल हामिद नोमानी ने कहा, शब-ए-बरात में कुरान पढ़ना या नफिल नमाजें अदा करनी चाहिए, लेकिन मौजूदा दौर में जिस तरह से हुड़दंग मचाया जाता है और स्कूटर रेसिंग की जाती है, यह शरियत के तौर पर गैर इस्लामी है और सामाजिक तौर पर भी गलत असर डालती है। महजब के नाम पर ऐसा करना गलत है। बेहतर तो यह है कि लोग घरों में इबादत करें।

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उन्होंने कहा, अगर मस्जिद में इबादत करनी है तो अपने मोहल्ले की मस्जिदों में करें। हंगामा करना गलत है। इस्लाम और मुसलमानों की छवि के लिए भी यह जरूरी है इससे मुसलमानों के बारे में यह संदेश जाता है कि वह इस्लाम के नाम पर ऐसा करते हैं। ऐसा कुछ न करें जिससे समुदाय की बदनामी हो। अभिभावकों के लिए यह जरूरी है कि वे अपने बच्चों पर नजर रखें।
शब-ए-बरात को मुस्लिम समाज से ताल्लुक रखने वाले लोग रात भर जाग कर अपने गुनाहों की तौबा करते हैं और अल्लाह से दुआएं मांगते हैं, लेकिन समुदाय के ही कुछ नौजवान इबादत करने की जगह सड़कों पर निकल कर हुड़दंग मचाते हैं और मोटरसाइकलों पर स्टंटबाजी करते हैं। इससे अन्य लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। स्टंटबाजी के दौरान हुए हादसों में कई नौजवान अपनी जान भी गवां देते हैं।
इस रात को लगने वाले बाजारों पर सख्त ऐतराज जताते हुए मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, बाजारों में मेले की तरह दुकाने लगाना भी गलत है, क्योंकि यह इबादत की रात सबके लिए है और जो दुकानें लगाते हैं यह रात उनके लिए भी है। इसलिए इस रात का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि दुकानें लगे या बाजार मेले की तरह हों, बल्कि बाजार में किसी को होना ही नहीं चाहिए। यह आमदनी और कमाई की रात नहीं है यह दीनी कमाई की रात है।
बीते कुछ सालों में सड़कों पर हुड़दंग जरूर कम हुआ है लेकिन अब भी कई युवा ऐसे हैं जो ऐसी गतिविधियों में शामिल होते हैं। इस रविवार 22 मई को शब-ए-बरात है। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कुछ युवकों द्वारा हुड़दंग मचाने पर चिंता जाहिर करते हुए कहा, शब-ए-बरात में स्टंटबाजी करना इस रात की अहमियत के खिलाफ है। यह इबादत की रात है न कि हुड़दंग और स्टंट की। यह कानूनन और शरियत के हिसाब से भी मुनासिब नहीं है।
उन्होंने कहा, मां-बाप को इस पर ध्यान देना चाहिए। यह उनके लिए भी परेशानी का सबब है क्योंकि इससे हादसे भी होते हैं। उन्हें अपने बच्चों पर काबू करना चाहिए और उन्हें बाहर नहीं जाने देना चाहिए। इमाम बुखारी ने कहा, आप शोर मचाते हुए गैर मुस्लिमों के मोहल्ले से गुजर रहे हैं। इसके लिए कौन कहता है, न कानून कहता है और न इस्लाम कहता है।
फतेहपुरी मस्जिद के इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम ने कहा, शब-ए-बरात को पैगंबर मोहम्मद के वक्त से मनाया जाता रहा है और मोहम्मद साहब की शिक्षाओ में 15वीं शाबान इस्लामी महीना को इबादत के लिए फरमाया गया है और अल्लाह इस रात को दुआओं को कुबूल करता है और अल्लाह की तरफ से इसका एलान होता है। इस रात में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगना, और अपने गुनाहों की तौबा करनी चाहिए।

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