झूठी हदीसो से बचा करे---अल्लाह तआला हमे कहने सुन’ने से ज्यादा अमल की तौफीक दे !



जो रमजान की मुबारकबाद सबसे पहले दुसरे को दे उसपर जन्नत वाजिब और जहन्नुम की आग हराम
सुभानअल्लाह ! कहा से लाये ये हदीस,. इतने आसानी से जन्नत मिलती तो सहाबा(रज़ीअल्लाहु अन्हु) इतनी तकलीफे क्यों उठाते ? बल्कि रमजान का इंतज़ार करते, रमजान की खुशखबरी देते और माशाअल्लाह जन्नत के मुस्तहिक हो जाते| कोई भी कहेगा बिलकुल मंनघडत रिवायत है ये!
*इसी तरह एक और SMS भी अक्सर चलता रहता है के – “कुरान की आयतों को SMS मत करो, SMS delete हो जाते है , और अल्लाह के रसूल (सलाल्लाहो अलैहि वसल्लम) की पेशंनगोयी है के क़यामत की निशानियो में से एक निशानी है के लोग कुरान को अपने हाथो से मिटा देंगे !”
सबसे पहले चीज़ तो ये के , अगर वाकयतन अगर ऐसी बात सही होती , तो वो मदारिस , वो मकातिब जहा कुरान पढाया जाता है और उस्ताद कुरान की आयते लिख कर बताते है बच्चों को बोर्ड पर, वो बोर्ड्स तो अब उठाकर रखने पड़ेंगे सारे, क्यूंकि मिटा नहीं सकते ना, और बोर्ड से मिटाना भी तो डिलीट करना ही होगा ना,..
कोई भी कहेगा के कितनी बेतुकी और बेवकूफाना बात है ये,.. और याद रखिये जो हवाला भी हदीस का देते है ऐसी कोई हदीस भी नहीं केलोग कुरान को अपने हाथो से मिटा देंगे ,..
जबकि जो पेशंगोयी हदीस में आती है वो ये के – “क़यामत से पहले अल्लाह कुरान को उठा लेगा!”
यानी मुसलमान नहीं मिटाएगा ! ये मिटाना तो इल्म के लिए है, के एक आयत लिखी उसे मिटाकर दूसरी आयत लिखी ताकि इल्म में इजाफा हो, और किसी का मकसद कुरान को ख़तम करना, मिटाना, रू--ज़मीन से हटा देना ऐसा मकसद नहीं होता है,
लिहाजा मोबाइल से SMS डिलीट करने में कोई हर्ज़ नहीं, मोबाइल है, उसका भी अपना एक महदूद दायरा(Limited Storage Space) होता है, तो नए SMS की जगह की खातिर पुराने SMS डिलीट करने में कोई हर्ज़ नहीं, तो SMS भेजिए आप अगर अच्छे भेजते है , बशर्ते के साबितशुदा हो!
लेकिन हम आपसे एक गुजारिश करेंगे के जब भी SMS आप करते है तो तहकीक कर ले, वरना मिजाज़ तो ऐसा बना हुआ है केएक भेड चल ली तो पुरे भेड चल देते है उसके पीछे,. और जाने कितने मनघडत रिवायते रसूलल्लाह के नाम से भेजते रहते है.,.
*जबकि आप (सलाल्लाहो अलिही वसल्लम) ने सख्त रोका हमे इस चीज़ से और एक हदीस में फ़रमाया जिसका मह्फुम है के
जिसने जानभुजकर मेरी तरफ कोई झूठी बात मंसूब की वो जहन्नुम में अपने ठिकाने के लिए तैयार हो जाये ” – सहीबुखारी: हदीस १०६-१०९
*लिहाजा हमे चाहिए के जो भी बाते आगे पोहोचाये वो तहकीकशुदा हो, शिर्क और बिद्दतो से पाक हो..
इंशाअल्लाह-उल-अज़ीज़ !

अल्लाह तआला हमे कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे !
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